रतनमणि डोभाल:
रोहतक हरियाणा के होटल कारोबारी को मेन रोड पर गोली मारने की घटना बदलते नए हरिद्वार को समझने में मदद मिलती है। उसकी आबो हवा बदल गई है। पुराना भूगोल बदल गया है जहां अब लौटा नही जा सकता है। निर्मल व अविरल गंगा की आवाज कुंद हो चली है। दानवीरों के धन से बनी धर्मशालाएं आधुनिक होटलों में परिवर्तित हो गई हैं। आश्रम भी परिवर्तन की राह पकड़ चुके हैं।
पूरी डेमोग्राफी ही बदल गई है। जिसका दुष्प्रभाव उसकी धर्म संस्कृति पर पड़ा है। संख्याबल हर जगह भारी पड़ता है। संस्कृति भी उनकी चलेगी जिनकी संख्या अधिक होगी।
हरियाणा, पश्चिम उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार से आए लोगों ने हरिद्वार का सबकुछ बदल दिया है। संविधान भारत के प्रत्येक नागरिक को कही भी बसने, कारोबार करने की अनुमति देता है। लेकिन आने वालों में सज्जन कम दुर्जन अपराधिक पृष्ठभूमि तथा फरारी काटने वालों का संख्या अधिक है।
कनखल, जगजीतपुर से आगे लक्सर रोड, सीतापुर, राजा गार्डन, शिवालिक नगर, रोशनाबाद, उत्तरी हरिद्वार, हरिपुर कलां तक और श्यामपुर से लालढांग तक सर्वे करा लिया जाए हरिद्वार लाल नही मिलेगा। सब बाहर से आकर बसे लोग हैं।
नई कालोनी-नई कालोनियां काटने के लिए फीता पकड़े भले ही हरिद्वार लाल दिख जाएं पर गांधी जी बाहर से आ रहे हैं। हर जगह उनका पैसा बोलता है।
होटल इंडस्ट्री बहुत बड़ी हो गई है। होटल हैं तो हरिद्वार की जमीन पर चलाने वाले बाहर के और हरियाणा के अधिक हैं। जिनका पुलिस सत्यापन करने लगे तो आधे शहर छोड़कर भाग खड़ै होगे। अपने यहां अपराध कर फरारी काटने के लिए हरिद्वार सबसे सुरक्षित जगह पहले भी रही है तब आश्रम के महंत शरण देते थे, घर वाले भी पुलिस से बचाने के लिए छोड़ जाते थे। अब ट्रेंड बदला है आश्रम से होटल सेफ पनाह देने लगे हैं।
चूंकि संख्याबल और धनबल उनके पास हो तो लोकतंत्र को भी संख्या से चलना होता है। सत्ताधारी दल उनकी पहली पसंद होता है और विपक्ष को साधने के लिए कुछ उधर भी होता हैं और जब कहीं संकट आता है सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों उनके साथ खड़े दिखते हैं। पुलिस के कठिन चुनौती बनता जा रहा है यह डेमोग्राफी का गठजोड।
